फैक्ट्री में ट्रेन कैसे बनता है ? जानें पूरा प्रोसेस

 

दोस्तों ट्रेन में सफ़र तो हर कोई करता है क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन कैसे बनाई जाती है आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि  ट्रेन बनती कैसे है और कहा बनाई जाती है।

सबसे पहले बात करते हैं रेलवे की जान जोकि है उसके पहिये के बारे में बात करते हैं हर रोज़ लाखो लोग इन ट्रेन से Travel करते हैं और जब आप ट्रेन से Travel करते हैं तब उनके मन में एक सवाल तो जरूर आया होगा कि आखिर इस ट्रेन में इतने ताकतवर पहिए जो हजारों लोगों को एक साथ लेकर जाते हैं इन्हें आखिर बनाया कैसे जाता है ।



ट्रेन का पहिया :- इसे बनाने की शुरूआत होती है एक बड़े रॉड से एक ब्लेड के ज़रिए इन रॉड्स को छोटे - छोटे हिस्सों में काटा जाता है सही आकार में काटने के बाद अब उन्हें एक Magnet के जरिए Move किया जाता है । अब इन बड़े - बड़े रॉड्स की लोहे को Induction में रखा जाता है ये इंडक्शन काफी Powerfull होते हैं 20 से 30 मिनट में ही 12 से 15 रॉड्स को लाल कर देते हैं अब इन्हे Conwere के ज़रिए दूसरे मशीन के पास भेजा जाता है ये क्लॉक मशीन उन्हें उठाकर फिर दूसरे इंडक्शन में डालती है यह इंडक्शन इस Gold Rod को ज्यादा गर्म कर देते हैं ताकि उन्हें Shape दिया जा सके अब उसे वहां से बाहर निकालर दूसरे मशीन पर रखा जाता है ।

इस मशीन के दो आजण गर्म रॉड को सही जगह पर लाते हैं अब एक काफी भारी Press इस गर्म लोहे को प्रेस करता है दो बार प्रेस करने के बाद ये किसी असली रेल के पहिए के आकार लेना शुरू कर देते हैं अब उसे वहां से बाहर निकाला जाता है और दूसरी मशीन के पास एक क्लार्क मशीन के जरिए ले जाया जाता है याद रखिए ये एक पहिया 500 से 600 किलोग्राम के वजन का होता है अब अगली मशीन इस पर आर Press करती है जिससे कि इस पहिए में एक ऐसा Shape बन जाए जिससे यह रेल के पहिए में अटक जाए और अच्छे से चल पाए। इस सारे Process को Computer से लगातार Monitor किया जाता है । सही Shape आने के बाद उसे दुसरे प्रेसिंग मशीन पर रखा जाता है ये उसे प्रेस करके उसके बीच की हिस्से को काट देता है ताकि यहां पर एक्सर लगाया जा सके जैसे ही इस प्रयोग को बाहर निकाला जाता है वैसे ही ही इस मशीन पर पानी भरा जाता है अब एक Sensor इसकी लंबाई और चौड़ाई नजर करता है और इन सभी को उठाकर पानी में ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है ठंडा होने के बाद उसे पाइलिंग मशीन पर रख दिया जाता है ये मशीन पाइपों की Asses बनाता है और उसे चमका देता है चमकाने के बाद उन पर Whole गिराए जाते हैं और उन्हें एक्सर के साथ Join कर दिया जाता है अब इसकी टेस्टिंग की जाती है Testing पास करने के बाद इस पर Colour मारा जाता है अब इसको Seal किया जाता है और अगले Factory में पास किया जाता है । 



ट्रेन की पटरी से:- सबसे पहले पटरियां लोहे से बनाई जाती थी तब वो पटरियां या तो जंग लगकर टूट जाती थीं या फिर बार - बार ट्रेन के जानें से Size में कम हो जाती थीं इसलिए उन्हें स्टील से बनाया जाने लगा । ये चीज़ें बनाने के लिए Recycle चीजों का इस्तेमाल करती है सबसे पहले एक मैग्नेट के जरिए Scrape को उठाकर Contenor में डाला जाता है अब Contenor Full होने पर ट्रक इसे लेकर दूसरे Verehouse में लेकर जाता है अभी Crane इस Contenor को उठाकर Furness में डालता है। अब इलेक्ट्रॉनिक्स के ज़रिए सारे स्क्रेप को 1600 डिग्री सेल्सियस तक पिघलाया जाता है अब इस Lava को एक Contenor में डाला जाता है तथा इसे एक ट्यूब के ज़रिए एक सांचे में डाला जाता है। तथा एक PowerFull Korck इन्हें 3.5 मीटर में काट देता है। और Crane द्वारा इन्हें Furness में 5 घंटे के लिए 1200 डिग्री सेल्सियस पर डाल देती है। Large Steel को Convere के जरिए दूसरे मशीन में लाया जाता है जैसे ही गर्म स्टील रोलर के अंदर जाता है वैसे ही स्टील तेजी से लंबा होने लगता हैं इसी प्रकार जब रोलर के नीचे से 3 - 4 बार गुजर जाता है। पहले स्टील से चार गुना अधिक बढ़ जाता है ब्लेड इन्हें फ़िर से चार हिस्सों में काटकर फ़िर से Furness में डाल दिया जाता है 

अब गर्म होने के बाद ये दूसरे सांचे में डाला जाता है जो इसे पटरी का आकार देता है

 

Train का डिब्बा : 

अब बात करते हैं आपसे अपने शहर तक पहुंचाने वाले ट्रेन के डिब्बों के बारे में डिब्बों को कैसे बनाया जाता है इसे बनाने के लिए बड़े - बड़े शीट को आपस में जोड़ते हैं Workers इन शीटों को काफ़ी सटीकता से जोड़ते हैं ताकि इससे कोई हादसा ना हो डिब्बों के हर एक साइड को अलग-अलग बनाया जाता है अब सारी चीजों को एक साथ लाया जाता है और उन्हें जोड़कर डिब्बों का आकार दिया जाता है इसके लिए बड़े - बड़े Crane का इस्तेमाल किया जाता है अब इस खोखले डिब्बों को पेंटिंग करने के लिए भेजा जाता है और दूसरे तरफ इसके नीचे इंजन को Ready किया जाता है इसके लिए लोहे के बड़े प्लेटफार्म जिस पर स्प्रिंग लगा होता है इस पर पहले बनाए हुए पहिए को लगाते हैं हर ट्रेन का System अलग होता है पर जो डिब्बे हम आपको दिखा रहे हैं। उस पर तीन पहिए के जोड़  CRलगते हैं अब उन पर काफ़ी सारे स्क्रू लगाकर सील पैक कर दिया जाता है और इन्हीं सारे System में Airbrake को लगा दिया जाता है इन्हीं Airbrake से Train हर एक पटरी पर सही से रुक पाती हैं अब इस पूरे System को सीधा किया जाता है पेंटिंग पूरी होने के डिब्बों को इन System पर रखा जाता है इनकी Interior Design की जाती है इस Furniture में बहुत सारे काम आ जाते हैं जैसे Flowring, Paneling, Sheet, Holding Bar , पानी की सुविधा,Toilet और बिजली की सुविधा इन कामों को काफी कुशलकारीगार मजदूर द्वारा किया जाता है। और अब डिब्बों को Colour दिया जाता है ।




वर्तमान में भारतीय रेलो में पेट्रोल, डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय रेलवे में पहले भांप इंजनों का भी इस्तेमाल किया जाता था। और अब जानेंगे कि आखिर रेल के इंजन बनते कैसे हैं।


रेल के इंजन :- भारत के सबसे सर्वोच्च कंपनी जो रेल के इंजन का निर्माण करते हैं।

(1) Bharat Heavy Electricals limited (BHEL) :- भारत में सार्वजनिक क्षेत्र में व निर्माण क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है । इस कंपनी ने भारतीय रेलवे को हजारों इलेक्ट्रिक इंजनों, डीई लोकोमोटिव्स, इलेक्ट्रिक मल्टिपल यूनिट, ट्रैक रखरखाव मशीनों की आपूर्ति की है। भेल ने ही WAG ELECTICAL LOCO का निर्माण किया है।


(2) लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन : - भारत में स्थित असम राज्य के स्वामित्व वाले क्षेत्र में लोकोमोटिव निर्माता फैक्टरी है। ये दुनिया के सबसे बड़े लोकोमोटिव निर्माता कंपनियों में से एक है। इस कंपनी ने WAP-7 ,WAP-5 , WAG-9 , WAP-4  जैसे पावरफुल इंजनों का निर्माण किया है।


(3) डीजल रेल इंजन कारखाना (वाराणसी) :- भारत के वाराणसी में स्थित डीजल रेलवे इंजन का कारखाना है जो भारतीय रेल को डीजल , इलेक्ट्रिक इंजन और इसके Repair पार्ट का निर्माण करता है। ये भारत में सबसे बड़ा डीजल इलेक्ट्रिक इंजन लोकोमोटिव का निर्माता है। ये कंपनी DLW, EMD, GT46MAC और EMD GT46PAC LOCOMOTIVE का निर्माण कर रहा है।


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