जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय :-
प्रसाद जी का जन्म काशी के ' सुंघनी साहू ' नाम से प्रसिद्ध वैश्य परिवार में 30 जनवरी 1889 ई को हुआ था इनके पिता जी का नाम देवी प्रसाद था। बचपन में ही इनके माता - पिता की मृत्यु हो गई, परिवार का सारा भार इनके बड़े भाई पर आ गया।
सर्वप्रथम इनका नाम क्वींस क्लाज में लिखाया गया, किंतु वहां इनका मन नहीं लगा और घर पर ही योग्य शिक्षकों से अंग्रेजी और संस्कृत का अध्ययन करने लगे कुछ दिन बाद इनके बड़े भाई शंभू नाथ जी भी चल बसे।
अब सारा भार प्रसाद जी के कंधों पर था।इन्होंने तीन शादियां की किंतु तीनों ही पत्नियों की असमय मृत्यु हो गई इसी बीच इनके छोटे भाई की मृत्यु हो गई इन सभी असामयिक मौतों से यह अंदर ही अंदर टूट गए।
संघर्ष और चिन्ताओं ने स्वास्थ्य को बहुत हानि पहुंचाई छय रोग से पीड़ित होने के कारण 15 नवंबर 1937 ई को 47 वर्ष की आयु में इनका निधन हो गया।
कृतियां :- प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, महान कवि, सफल नाटककार, उपन्यासकार, कुशल कहानीकार और र्श्रष्ठ निबंधकार थे। इनकी कृतियां निम्नलिखित हैं -
•नाटक- चंद्रगुप्त, स्कंदगुप्त, अजातशत्रु, ध्रुवस्वामिनी, राज्यश्री, कामायनी, जन्मेजय का नाग यज्ञ, करुणालय, एक घूंट, सज्जन एवं प्रायश्चित
•कहानी संग्रह - प्रतिध्वनि, छाया, इंद्रजाल, आकाशदीप, आंधी
•काव्य - कामायनी (महाकाव्य), झरना, लहर, आंसू, महाराणा का महत्व, कानन- कुसुम आदि प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ है।
•उपन्यास - कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)
•निबंध संग्रह - 'काव्य कला' और अन्य निबंध है।
•भाषा शैली - प्रसाद जी की भाषा शुद्ध, सरल, साहित्यिक एवं संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली है।
इनके काव्य में वर्णनात्मक भावात्मक अलंकारिक एवं चित्रात्मक शैली के दर्शन होते हैं।
जयशंकर प्रसाद की रचनाओं को याद करने का ट्रिक
TRICK• आज एक चित्र में चंद्र का प्रेम झलक रहा है।
आज- अजातशत्रु
आ- आंसू
ज- जनमेजय का नागयज्ञ
एक- एक घूंट
चित्र- चित्राधार
चंद्र- चंद्रगुप्त, स्कंदगुप्त
का- कामायनी, कामना, कानन-कुसुम
प्रेम- प्रेमपथिक
झ- झरना
ल- लहर
क- कंकाल
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