LED Bulb कैसे बनता है जानें पूरा प्रोसेस

 

LED बल्ब बनाने की प्रक्रिया कई चरणों में होती है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और मैन्युफैक्चरिंग की तकनीकें शामिल हैं। यहाँ एक सामान्य प्रोसेस दी गई है।


1. सामग्री का चयन (Material Selection):

LED चिप्स: ये छोटे अर्धचालक होते हैं जो बिजली के प्रवाह से रोशनी बनाते हैं। इन्हें सिलिकॉन और सेमीकंडक्टर से बनाया जाता है।

हीट सिंक (Heat Sink): एलईडी बल्ब के अंदर गर्मी निकालने के लिए एल्यूमिनियम जैसी धातु का उपयोग होता है।

ड्राइवर (Driver): यह बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह बल्ब की रोशनी को स्थिर रखता है।

लेंस/डिफ्यूज़र: यह कवर होता है जो रोशनी को फैलाता है। यह बल्ब को समान प्रकाश प्रदान करने में मदद करता है।

2. LED चिप्स का निर्माण (Manufacturing of LED Chips):

वेफर प्रोडक्शन: सबसे पहले, सेमीकंडक्टर सामग्री का एक पतला वेफर तैयार किया जाता है।

चिप्स का निर्माण: इस वेफर को छोटे-छोटे हिस्सों में काटा जाता है। इन्हें एलईडी चिप्स कहा जाता है।

चिप माउंटिंग: एलईडी चिप्स को पीसीबी या धातु के सब्सट्रेट पर माउंट किया जाता है।

3. पावर सप्लाई ड्राइवर (Power Supply Driver) जोड़ना:

एलईडी बल्ब को AC से DC में बदलने के लिए ड्राइवर लगाया जाता है। यह बल्ब को सही तरीके से चलाने में मदद करता है। यह ओवरवॉल्टेज से भी बचाता है।

4. हीट सिंक का निर्माण (Heat Sink Fabrication):

एलईडी बल्ब की लंबी उम्र के लिए गर्मी को निकालना जरूरी है। एक हीट सिंक बनाया जाता है, ज्यादातर एल्यूमिनियम से।

5. सर्किट असेंबली (Circuit Assembly):

अब, LED चिप्स और ड्राइवर को एक साथ जोड़ें। सर्किट बोर्ड बनाकर यह किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि बिजली सही तरीके से एलईडी चिप्स तक पहुंचे।

6. लेंस या डिफ्यूज़र जोड़ना (Adding Lens or Diffuser):

एलईडी चिप्स के ऊपर लेंस या प्लास्टिक का कवर लगाया जाता है। यह प्रकाश को समान रूप से फैलाने में मदद करता है।

7. हाउसिंग और असेंबली (Housing and Assembly):

अंत में, सभी घटकों को बल्ब के अंदर फिट किया जाता है। बल्ब की बाहरी बॉडी प्लास्टिक या ग्लास से बनती है। इसे हीट सिंक के साथ जोड़ा जाता है।

8. टेस्टिंग (Testing):

बल्ब को चालू करके उसकी रोशनी की गुणवत्ता देखी जाती है। इसकी पावर कंजम्पशन भी जांची जाती है। विभिन्न परीक्षणों से गुजरने के बाद, यह सुनिश्चित किया जाता है कि बल्ब सही से काम कर रहा है।

9. पैकिंग (Packaging):

अंत में, LED बल्ब को पैकेजिंग में डालकर बाजार में भेजा जाता है।

निष्कर्ष:

LED बल्ब एक जटिल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक चिप्स, पावर ड्राइवर, हीट सिंक, और लाइट डिफ्यूज़र होते हैं। यह बल्ब लंबे समय तक चलने वाला और ऊर्जा कुशल है।



LED Bulb का Full Form : LED का Full Form  Light Emitting Diode  होता है।

LED Bulb सबसे पहले कौन बनाया था ?

LED का आविष्कार 1962 में हुआ था। निक होलोन्याक ने इसे बनाया था। उन्हें जनरल इलेक्ट्रिक में काम करते हुए यह बनाने का श्रेय जाता है। लेकिन, यह लाल रंग की रोशनी करता था। बाद में अन्य वैज्ञानिकों ने नए रंगों के LED बनाए। 1990 के दशक में शुजी नाकामुरा ने नीली और सफेद LED बनाए। यह LED बल्ब के विकास में बहुत मददगार थे।

LED Bulb कितना बिजली खपत करता है ?

LED बल्ब की बिजली खपत वाट क्षमता पर निर्भर करती है। वे कम ऊर्जा खाते हैं और अधिक रोशनी देते हैं।

5W LED बल्ब 40W बल्ब की रोशनी देता है।

9W LED बल्ब 60W बल्ब की रोशनी देता है।

12W LED बल्ब 75W बल्ब की रोशनी देता है।

18W LED बल्ब 100W बल्ब की रोशनी देता है।

एलईडी बल्ब की बिजली खपत उसके वाट क्षमता पर निर्भर करती है। यह पारंपरिक बल्बों की तुलना में 80% तक कम बिजली खाता है। इससे बिजली की बचत होती है।


Bulb का इतिहास :

बल्ब का इतिहास वैज्ञानिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें कई आविष्कारकों और वैज्ञानिकों ने योगदान दिया है। यहाँ बल्ब के इतिहास की कुछ प्रमुख घटनाएं दी गई हैं:

1. 1800: आर्क लाइट का आविष्कार

आर्क लाइट का सबसे पहला विकास हम्फ्री डेवी ने किया। उन्होंने बैटरी के साथ इलेक्ट्रोड्स के बीच रोशनी बनाई। लेकिन यह एक व्यावहारिक बल्ब नहीं था।

2. 1841: आर्क लैंप का व्यावसायिक उपयोग

फ्रेड्रिक डे मोलेंस ने 1841 में आर्क लैंप का पेटेंट प्राप्त किया। यह सार्वजनिक स्थानों को रोशन करने के लिए उपयोग किया गया। लेकिन घरेलू उपयोग के लिए यह उपयुक्त नहीं था।

3. 1848: थॉमस एडिसन और जोसेफ स्वान के प्रयास

जोसेफ स्वान और थॉमस एडिसन दोनों ने बिजली वाले बल्ब बनाने का काम किया। स्वान ने 1860 में एक बल्ब बनाया था। लेकिन यह बहुत जल्दी खराब हो जाता था।

थॉमस एडिसन ने 1879 में एक नया बल्ब बनाया। इसमें कार्बन फिलामेंट का उपयोग किया गया था। यह बल्ब लंबे समय तक चलता था, लगभग 1200 घंटे।

4. 1879: थॉमस एडिसन का व्यावसायिक बल्ब

1879 में, एडिसन ने एक कार्बन फिलामेंट वाला बल्ब बनाया। यह बल्ब बहुत उपयोगी था। इलेक्ट्रिक लाइटिंग को यह बहुत आसान बनाया।

5. 1890 के दशक: धातु फिलामेंट बल्ब

1890 के दशक में, वैज्ञानिकों ने टंगस्टन धातु का फिलामेंट इस्तेमाल करना शुरू किया। यह ज्यादा कुशल और लंबे समय तक चलने वाला था। आज भी, टंगस्टन फिलामेंट बल्ब कई जगहों पर उपयोग होते हैं।

6. 1900-1920: फ्लोरोसेंट लाइट्स और सुधार

1920 के दशक में, फ्लोरोसेंट बल्ब का आविष्कार हुआ। यह सामान्य बल्बों की तुलना में अधिक कुशल था। फ्लोरोसेंट बल्बों ने ऊर्जा की बचत के लिए एक नया विकल्प दिया।

इन्हें बड़े पैमाने पर सार्वजनिक और व्यावसायिक स्थानों में इस्तेमाल किया जाने लगा।

7. 1960-1990: LED तकनीक का विकास

1962 में, निक होलोन्याक ने पहला LED बनाया। यह एक नई तकनीक थी जो बिजली को रोशनी में बदल सकती थी। शुरू में, यह केवल लाल रोशनी उत्पन्न कर सकता था।

1990 के दशक में, शुजी नाकामुरा ने नीली और बाद में सफेद LED विकसित की। यह LED लाइटिंग को मुख्यधारा में ला दिया।

LED बल्बों ने अपनी लंबी आयु और ऊर्जा-कुशलता के कारण बाजार में क्रांति ला दी।

8. आज का युग: LED बल्ब

आधुनिक LED बल्ब बहुत कुशल और टिकाऊ होते हैं। ये पारंपरिक बल्बों की तुलना में ज्यादा समय तक चलते हैं। ये घर, कार्यालय और उद्योगों में उपयोगी होते हैं।

निष्कर्ष:

बल्ब का इतिहास बहुत दिलचस्प है। यह तकनीकी विकास का प्रतीक है।

हम्फ्री डेवी से लेकर थॉमस एडिसन तक, यह एक सदी से अधिक समय में विकसित हुआ है।

आज के बल्ब ऊर्जा कुशल और पर्यावरण के अनुकूल हैं। वे लंबे समय तक चलते हैं। यह मानव सभ्यता के लिए एक बड़ा कदम है।


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