नमस्कार दोस्तों आदित्य ब्लॉग में आपका बहुत-बहुत स्वागत है। दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं नाटो ,नाटो प्लस, सेंटो सीटों के बारे में पूरी जानकारी आपको देने वाले हैं।
क्यों नहीं रोका जा रहा है यूक्रेन और रूस का युद्ध इन सभी चीजों पर पूरी जानकारी आज हम देने वाले हैं। NATO एक नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन है।
यह सैनिक संगठन है। इसे फ्रेंच भाषा में उल्टा बोलते हैं जिसे ओटन कहते हैं। तो इसका पूरा हिस्ट्री देखते हैं सेकंड वार से देखिए जब द्वितीय विश्व युद्ध हो रहा था। 1939 से 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध चला इसमें पूरा यूरोप तबाह हो गया था। लगभग एकदम भुखमरी के कगार पर चला गया था। इसी बीच लगभग जर्मनी का हर तय थी।
फरवरी 1945 में हिटलर के चार महीना मरने से पहले यह कंफर्म हो गया था। कि जर्मनी की अब हार हो जाएगी। जर्मनी पर बैठक हो रही थी यूक्रेन के याल्टा में बैठक हुईं कि जर्मनी पर राज कौन करेगा। तब इस बैठक में कंफर्म हुआ की जर्मनी को हराने के बाद जर्मनी को चार भागों में बांट दिया जाएगा और रूस ब्रिटेन अमेरिका फ्रांस चार देशों में जर्मनी को बांट दिया जाएगा। और वैसा ही हुआ।
रसिया को 1904, 1905 में जापान ने ही हरा दिया था। जब सेकंड वार खत्म हुआ तो जापान पर परमाणु बम गिरा दिया गया। याल्टा बैठक में कहा गया था कि जापान को हराने के बाद क्यूराइल द्वीप रसिया ले लेगा। और वैसा ही हुआ। फरवरी 1948 में रसिया के पार्ट को यूक्रेन, काकेसिया, यूरेशिया, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान रसिया बहुत बड़ा का भाग थे।
ये सब रूस ने यूरोप के चेकसालिया देश पर हमला करके उसको कब्जिया लिया। यूरोप के लोग डर गए। रूस का अगला टारगेट तुर्की था। तब अमेरिका के प्रधानमंत्री ने अप्रैल 1948 में मार्शल प्लान चालू किया। फिर भी रूस आगे बढ़ता रहा।
4 अप्रैल 1949 को नाटो संगठन हुआ। उसे समय 12 देश थे इस समय 31 देश हो गए हैं। नाटो के गठन में केवल 14 अनुच्छेद है। नाटो इसलिए बनाया गया था ताकि रसिया को रोका जा सके। नाटो तो कंप्लीट हो गया ।
अब रसिया को चारो ओर से घेरना था । तब उसके लिए सीटों चालू किया गया। सीटू का फुल फॉर्म साउथ ईस्ट एशिया ट्रीटो ऑर्गेनाइजेशन था। इसकी देखरेख अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस कर रहे थे। अमेरिका शांत बैठने वाला देश नहीं था। उसने सेंटों चालू किया।
सेंट्रल ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यह 1955 में लागू किया। इसकी देखरेख ब्रिटेन कर रहा था। अब रूस चकरा गया। सेंट्रल के अंतर्गत पाकिस्तान इराक तुर्की था। तथा साउथ से चीन जापान देश थे और पश्चिम से नाटो था। अब भारत किधर जाएं। रसिया भी अकेल था। 1961 ई में जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा ना मैं रसिया की तरफ हूं ना ही अमेरिका की तरफ हूं।
मैं तीसरी दुनिया में हूं एन ए एम इसमें पांच देश शामिल थे। और यह जरूरी भी था ना अमेरिका की तरफ ना रुस की तरफ।
रूस ने Warshav Pact चालू किया। रूस ने यह Pact 1955 में लाया था। इसमें रूस के पश्चिमी देश शामिल थे। 1989 रूस के लिए सबसे खतरनाक दिन था।
जो वर्षाव के देश थे वह अमेरिका की तरफ हो गए। रूस ने जो सोवियत संघ बनाया था वह भी टूट गया। बहुत से देश लोकतांत्रिक देश हो गए। अब अमेरिका के लिए SEATO और CENTO की आवश्यकता नहीं थी। इसलिए यह हटा दिया।
धीरे-धीरे रसिया कमजोर होता चला गया। नाटो दिन प्रतिदिन शक्तिशाली होते जा रहा था। 2002 में जब पुतिन सत्ता में आए तब उन्होंने कहा कि हम फिर से Warshav pact तथा सोवियत संघ लागू करेंगे। इसके डर से Warshav के जो देश थे। वे अमेरिका की तरफ होना चाहते थे।
2014 में यूक्रेन सोवियत संघ से हटना चाहता था। ताकि वह यूरोपीय देशों से व्यापार कर सके। लेकिन रूस सोवियत संघ से हटाना नहीं चाहता था। रूस का कहना था कि जब यूक्रेन यूरोपीय देशों से व्यापार करेगा तो वह भी नाटो में शामिल हो जाएगा। और अमेरिका की सेना रूस के बॉर्डर पर हो जाएगी।
इसी के कारण 2020 में यूक्रेन और रूस में युद्ध हो रहा है।
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